जिले गाजियाबाद में मार्च माह से प्रारंभ हुई निशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत तीन चरणों की लाटरी में अलाभित समूह एवम दुर्बल वर्ग के लगभग 5900 बच्चो का चयन किया गया था लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी दाखिलों का आंकड़ा 50% को भी नही छू पाया ।

जहां निजी स्कूलों के पास आरटीई के बच्चो को दाखिले नही देने के अनेकों बहाने है वही जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास इन निजी स्कूलों को नोटिस और चेतावनी देकर डराने का दिखावा करने के अलावा कोई और उपाय नजर नही आता । जिसके कारण आरटीई के बच्चो के अभिभावक स्कूल , जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी के चक्कर काट काट कर थक गए है लेकिन इनको अधिकारियो से आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता । अब हम बात करे प्रदेश सरकार की तो यहाँ से भी आरटीई के गरीब बच्चो को न्याय मिलता हुआ नजर नही आता।

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन और अभिभावक प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा को आरटीई के दाखिलों के लिय अनेकों पत्र और ट्वीट कर चुके है साथ ही गाजियाबाद की प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी आरटीई के दाखिलों के मुद्दे को पूरी मुस्तैदी से उठा रहा है लेकिन सरकार और इनके अधिकारी सुनने के लिए तैयार ही नहीं जिसके परिणामस्वरूप हर साल हजारों आरटीई के गरीब बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित हो रहे है ऐसा प्रतीत होता है की प्रदेश सरकार और अधिकारी निजी स्कूलों के दवाब में कार्य कर रहे है जिसके कारण ना तो आरटीई के दाखिले ही हो पा रहे है और ना ही निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग पा रही है।

अब जहा सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों में अच्छे परिणामों के लिए अपने अधिकारियो की जवाबदेही तय करनी होगी वही विपक्ष के नेताओ को आरटीई के गरीब बच्चो के दाखिलों और प्रदेश में शिक्षा के बढ़ते व्यापार पर अंकुश लगाने की आवाज को सदन में बुलंदी से उठानी होगी।

सीमा त्यागी ,अध्यक्ष गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back
error: Content is protected !!