संवाददाता हरीश कुमार गंगवार
रात के अंधेरे में हुई पुलिस की आरोपियों से सेटिंग!पीड़ित पक्ष को भी पुलिस ने थाने में बैठाया।
देवरनियां/बरेली। रास्ते के विवाद को लेकर कोतवाली देवरनियां क्षेत्र के गांव भदरक में शनिवार देरशाम हुई पथराव और फायरिंग के मामले में घायल महिला की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं इस मामले में पुलिस ने बडा खेल किया है। तीन नामजद गिरफ्तार आरोपियों में मात्र एक का जेल भेजा गया है।जिले हाकिम के कडक तेवरों और ताबातोड कार्रवाई के बावजूद कोतवाली देवरनियां पुलिस ने बडी लापरवाही रही। गांव भदरक में रास्ते को लेकर बने विवाद पर पुलिस की ढिलाई के कारण शनिवार देरशाम कृष्ण दत्त शर्मा और गिरीश चंद्र शर्मा से राजकुमार शर्मा के परिवार का विवाद चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती तो यह नौबत नहीं आती। इधर पुलिस ने कृष्ण दत्त शर्मा की तहरीर पर देररात राजकुमार सौरव,गौरव और राजेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस ने मौके से राजकुमार, सौरव, गौरव को गिरफ्तार कर लिया था । मगर रविवार को पुलिस ने केबल राजकुमार को ही चलान कर न्यायालय में पेश करा जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार रात के अंधेरे में पुलिस की आरोपियों से सेटिंग हुई है । जिस वजह से पुलिस बाकी आरोपियों को बचाने मे लगी है। पुलिस का तर्क है कि तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई है । अन्य तीन आरोपियों पर जानलेवा हमले का केस नहीं बन रहा है। बताते हैं कि पुलिस ने इस मामले मेंव अपने मन मुताबिक तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज किया है।पुलिस ने इस मामले में पीड़ित पक्ष कुष्ण दत्त शर्मा और गिरीश चंद्र शर्मा को भी थाने बैठा रखा है। पुलिस का कहना है कि पुंछताछ के लिए रखा है।फायरिंग में गोली लगने से घायल हुई महिला सावित्री का इलाज बरेली के एक निजी अस्पताल में चल रहा है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
फोटो— थाने में बैठे पीड़ित पक्ष और अन्य दो आरोपी।
” तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किय गया है। मुख्य आरोपी को चलान कर न्यायालय में पेश करा गया है। बाकी पर जानलेवा का केस नहीं बन रहा है। दूसरे पक्ष को पुंछताछ के लिए बुलाया गया है।”— देवेन्द्र सिंह धामा, इंस्पेक्टर देवरनियां.
सिरौली जैसा कांड होने से बचा।
आक्रोशित भीड ने घेर लिया था आरोपियों का घर। गोलीकांड के बाद आरोपी अपने घर में छुप गए आक्रोशित भीड ने उनके घर को घेर लिया था । और भीड अंदर घुसकर सबक सिखाने पर अमादा थे, मगर कुछ गणमान्य लोगों के समझाने पर ऐसा नहीं हो सका। वरना सिरौली जैसा कांड हो जाता।