बरेली। तंबुओं की होगी लंबी-लंबी कतारे नागाओ किन्नर महंतों के अखाड़ेनरनार साधु संत और पंडो का रेलाकुंभ में लगेगा फिर से मेलासुंदर है जग में सबसे नाम भी न्यारा है जहां जाति भाषा से बढ़ाकर देश प्रेम की धारा है वह प्यारा प्रयागराज महाकुंभ हमारा सबसे न्यारा सूरज गंगवारमहाकुंभ मान्यता है।
अमृत कलश से कुछ बूंदें निकालकर धरती के चार स्थानों पर गिरी हरिद्वार उज्जैन नासिक प्रयागराज इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ का का आयोजन होता है माना जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन तक यह युद्ध चला जो मनुष्य के 12 साल के बराबर होते हैंमाना जाता है की पौष पूर्णिमा के दिन कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं।
और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है शास्त्रों के अनुसार कुंभ में स्नान करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैप्रयागराज में महाकुंभ 2025 एक आध्यात्मिक संगम से कहीं अधिक है यह उत्तर प्रदेश के पर्यटन और आर्थिक भविष्य के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन है प्रयागराज में महाकुंभ 2025 एक आध्यात्मिक संगम से कहीं अधिक है उत्तर प्रदेश के पर्यटन और आर्थिक परिदृश्य में एक क्रांतिकारी परिवर्तन की आधारशिला हैकुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण है।
इस अनुष्ठान में संतों और तपस्वियों उनके शिष्यों के जुलूस और श्रद्धा के साथ घाटों की ओर से बढ़ते हैं माना जाता है की शाही स्नान पवित्र जल के आशीर्वाद को बढ़ाता है धार्मिक मानता है कि महाकुंभ में स्नान करने से इंसान को जीवन में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही आत्मा और शरीर की शुद्धि होती है संघर्ष के दौरान अमृत की बूंदे कुंभ मेले के चार स्थलीय स्थलों पर गिरी और ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक मेले के चरम ऋण पर नदियां उसे आदिम अमृत में बदल जाती हैं।
जिससे तीर्थ यात्रियों को पवित्रता सुभिता और अमृता के सार में स्नान करने का मौका मिलता हैमहाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है प्रयागराज में गंगा यमुना और सरस्वती नदियों का संगम है जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से मनुष्य को मोच की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं।
संवाददाता कुलदीप सक्सेना